संपर्क भाषा Language of Communication
संपर्क भाषा
Language of Communication
संपर्क भाषा का सरल परिचय
संपर्क भाषा किसे कहते हैं?
संपर्क भाषा उस भाषा को कहा जाता है जिसके द्वारा किसी देश
का शासन तंत्र सुचारु रूप से संचालित किया जा सके। उस देश के विभिन्न भाषा-भाषी
नागरिकों के मध्य संपर्क स्थापित किया जा सके, देश विशेष के अंदर होने वाले व्यापारों, क्रिया-कलापों, रीति-नीति तथा
साहित्य-संस्कृति को सरलता से समझा जा सके। संपर्क भाषा मुख्य रूप से शासन और जनता
से संपर्क स्थापित कराने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करती है। भारतीय
संविधान में हिंदी को संपर्क भाषा माना गया है क्योंकि राष्ट्र अपने दैनिक जीवन
में प्राय: इसी भाषा का प्रयोग करता है।
सरकारी तंत्र में संपर्क भाषा की भूमिका
संपर्क भाषा के माध्यम से जहाँ केंद्रीय सरकार अपनी अधीनस्थ
राज्य सरकारों के साथ संपर्क कर शासन व्यवस्था को सुचारु ढंग से चलाती है वहीं देश
के नागरिक भी एक-दूसरे के साथ इस भाषा का प्रयोग पत्राचार और अपने व्यावहारिक संबंधों
का निर्वाह कर लेते हैं। हिंदी संपर्क भाषा के रूप में स्वतंत्रता से ही कार्य
करती आ रही है।
संपर्क भाषा स्वतंत्रता से पहले
स्वतंत्रता से पहले यह हिन्दोस्तानी के रूप में संपर्क भाषा
थी। परंतु हिन्दोस्तानी भाषा में उर्दू की शब्दावली की अधिकता थी। संपर्क के रूप
में हिन्दोस्तानी भाषा ने अपनी अहम् भूमिका तो निभाई परंतु यह भाषा राष्ट्र एवं
समाज की पूर्ण अभिव्यक्ति कर पाने में लगभग असमर्थ रही। परिणामस्वरूप शासकों, प्रशासकों, साहित्यिकों
तथा भाषाविदों ने हिंदी के उस रूप को परिष्कृत कर ऐसी परिनिष्ठित भाषा का स्वरूप
दिया जिसे समझने, जानने, पढ़ने और बोलने में समानता, सहजता और
एकरूपता बनी रहे। उसे संपूर्ण समाज की अभिव्यक्ति प्रदान करने हेतु सक्षम बनाया
गया।
संपर्क भाषा स्वतंत्रता के बाद
स्वतंत्रता के बाद संपर्क भाषा हिंदी को संविधान में राजभाषा
की मान्यता प्राप्त हो गई। आज राजभाषा हिंदी शासन से लेकर जन साधारण तक के
आचार-विचार, व्यवहार, कार्य-प्रणाली, व्यापार और सामाजिक कार्यों को अभिव्यक्त
करने में पूर्णतः सफल संपर्क भाषा है।
संपर्क भाषा हिंदी ही क्यों बनी?
संपर्क भाषा वही बन सकती है जिसे बोलने और समझने वालों की
संख्या देश में सर्वाधिक हो। इस दृष्टि से खड़ी बोली हिंदी संपर्क भाषा है। हिंदी
की यह व्यापक क्षमता और शक्ति को देखकर उसे संपर्क भाषा घोषित कर दिया गया है।
हिंदी भाषा के विशेष गुण
हिंदी भाषा के विशेष गुण का बोध तब हो जाता है जब इसकी छत्र-छाया
में राष्ट्र की अन्य भाषा एवं उपभाषाओं का विकास होता है। राजभाषा हिंदी ने देश के
अनेक प्रांतों की भाषाओं और उप-भाषाओं के साथ अपना मधुर संबंध स्थापित कर उन्हें
फलने-फूलने का यथोचित अवसर प्रदान किया है। यही कारण है कि गुजराती, पंजाबी, मराठी, बांग्ला तथा
अनेक दक्षिण भाषाओं ने अपना अपेक्षित विकास किया है। इन भाषाओं में जहाँ हिंदी के
शब्दों की प्रचुरता है वहाँ क्षेत्रीय एवं प्रांतीय भाषाओं के शब्द हिंदी में भी आ
गए हैं।
हिंदी भाषा की उदारता
संपर्क भाषा हिंदी की उदारता इसी से देखी जा सकती है कि
इसने कभी संकीर्णता तथा जड़ता का परिचय नहीं दिया। उर्दू, अरबी, फारसी, तुर्की, पश्तो, पुर्तगाली, डच, फ्रेंच
आदि अन्य भाषाओं के दैनिक व्यवहार में बोले जाने वाले शब्दों को सहज ही स्वीकार कर
लिया है। यही कारण है कि हिंदी अपनी शारीरिक संरचना में भी अन्य भाषाओं से कहीं
श्रेष्ठ, सुंदर एवं
आकर्षक है।
क्या हिंदी भारत की राष्ट्र भाषा है?
हिंदी भाषा को भारत में राष्ट्र भाषा का केवल गौरव प्राप्त
है पर वास्तव में संविधान में कहीं भी वर्णित नहीं है कि हिंदी भारत की राष्ट्र
भाषा है। केंद्र सरकार द्वारा इसकी निरंतर उपेक्षा की जाती रही है और तमिलनाडु में
भी हिंदी का घोर विरोध होता रहा है।
हिंदी की व्यापकता
पूरे राष्ट्र के सभी राज्यों, क्षेत्र और अंचलों में आज हिंदी लोगों की
पसंदीदा भाषा बनी हुई है। पचास प्रतिशत से
भी अधिक लोग राजभाषा हिंदी में अपना संपर्क स्थापित करते हैं। समूचे भारतवर्ष में
देशाटन करने वाले पर्यटक, तीर्थयात्री, साधु-संन्यासी आदि खड़ी बोली हिंदी
में ही अपना संपर्क बनाते हैं। समूचे फिल्म जगत, खेल जगत
एवं संस्कृति तथा धर्म के क्षेत्रों में हिंदी का ही प्रयोग किया जाता है।
भारत में हिंदी प्रचार समिति
भारत के उत्तर प्रांतों में हिंदी का प्रचलन असंदिग्ध है परंतु
दक्षिण भारत में भी राष्ट्रभाषा प्रचार समिति द्वारा इसका व्यापक प्रचार किया जा
रहा है। अहिंदी क्षेत्रों में आज हिंदी अध्ययन-अध्यापन के साथ-साथ संपर्क भाषा भी
बन गई है। केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा, नागरी प्रचारिणी सभा और हिंदी
निदेशालय हिंदी के चतुर्दिग विकास के लिए सदैव कार्यरत है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी भाषा
संसार की अन्य भाषाओं से भी यदि हिंदी की तुलना की जाए तो
विदित होता है कि यह तीसरे नंबर की अंतर्राष्ट्रीय भाषा है। जिसके बोलने वालों की
संख्या सत्तर करोड़ से भी अधिक है। यही नहीं संपर्क भाषा हिंदी स्पेनिश, रूसी, इंडोनेशिया, जापानी, फ्रेंच, जर्मन, भाषाओं में अधिक संख्या में लोगों द्वारा
संपर्क की भाषा बनी हुई है। सारांश रूप में कहा जा सकता है कि संपर्क भाषा हिंदी
उपमहाद्वीप दक्षिण तथा मध्य अफ्रीका, फिजीद्वीप, ब्रिटिश गायना, मॉरीशस तथा अनेक यूरोपीय देशों में बोली तथा
समझी जाती है। विश्व के अनेक विश्वविद्यालयों में विदेशी छात्र-छात्राएँ जिन्हें
भारतीय राष्ट्रभाषा हिंदी से प्रेम है, वे इस भाषा और साहित्य का गहन अध्ययन भी कर
रहे हैं।
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