गर्व और स्वाभिमान की भाषा है हिंदी Hindi Divas par best nibandh
गर्व और स्वाभिमान की भाषा है हिंदी
हिंदी को आज हम विश्व नेतृत्व करने वाली भाषा के रूप में
देखते हैं। यूएनओ में जब हिंदी का सिंहनाद हुआ तो यह तय हो गया कि संभावनाओं और भावनाओं
से भरी है यह भाषा। आज दुनिया की आबादी के हिसाब से हर छठा व्यक्ति हिंदी बोलने और
समझने लगा है। इसने अपने अंक में कई भाषाओं को अपनाया है, इसीलिए यह
जन-जन की भाषा कही जाती है। हिंदी को समृद्ध करने में लोकभाषाओं का भी बहुत बड़ा
योगदान है। महात्मा गांधी ने हिंदी को जनसंचार व संवाद की सबसे सशक्त भाषा माना
था। आजादी की लड़ाई में इसकी महत्ता खूब दिखी। आज तो यह रोजगार की दृष्टि से भी
समृद्ध हो रही है, क्योंकि हिंदी का बाजार व्यापक हुआ है। यही
वजह है कि आज हिंदी में बात करने का गौरव बढ़ा है। हालाँकि, इसकी राह
में कुछ चुनौतियाँ भी हैं। कहा जाता है कि अगर किसी राष्ट्र को नष्ट करना हो, तो सबसे
पहले उसकी भाषा खत्म कर दीजिए, राष्ट्र स्वयं नष्ट हो जाएगा। इसीलिए हमें
अपनी भाषा का सम्मान करना चाहिए। अंग्रेजी की जिस जंजीर से हमने खुद को जकड़ रखा
है, उसे तोड़ना
होगा। मैं यह नहीं कहता कि अंग्रेजी अच्छी भाषा नहीं है, पर इसे अपने
सिर का ताज नहीं बनाया जा सकता। आज हिंदी भारत ही नहीं, दुनिया के
कई हिस्से में बोली जा रही है। 175 से भी अधिक विदेशी विश्वविद्यालयों में हिंदी में अध्ययन-अध्यापन हो रहा
है। इस पर कई तरह के शोध-कार्य हो रहे हैं, हिंदी की अनगिनत पत्र-पत्रिकाएँ निकल रही
हैं। भूमंडलीकरण के दौर में - सशक्त होती हिंदी को हमें और समृद्ध करना होगा।
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