मैं भी बदल गया... Main Bhi Badal Gaya By Avinash Ranjan Gupta
मैं भी बदल गया...
माना, गलत को गलत न कहना गलत होता है,
पर गलत को गलत कहने से जो होता है,
वो मुझसे पूछकर देखो,
अरे कोई तो मुझसे गमगलत करके देखो।
बाकायदे मैंने किसी कोर्स की तरह सीख लिया है ‘भूलना’,
कमज़ोरों का साथ देना,
आवाज़ उठाना,
अधिकारों के लिए लड़ना,
सत्य पर अड़ना।
अब आलम यह है कि
घर की एक ताख पर रख आता हूँ खुदको,
और बन जाता हूँ एक जीवित मशीन,
जिसमें न संवेदना बची, न ही स्पंदन,
बस एक जद्दोजहद है, मिटानी भूख को।
मुझे भीड़ दिखती है पर ये भीड़ किसी की नहीं
ये भीड़ के भेड़िए हैं या भेड़ियों की भीड़
जो अपने ऊपर हो रहे जुल्मों को
अपना भाग्य कहकर सहते हैं।
कर सकते हैं बहुत कुछ,
पर चापलूस और गुलाम बनकर रहते हैं।
ये और हम जिन्हें बेच चुके हैं अपनी स्वाधीनता,
अब वे ही हमारा भाग्य लिखते हैं।
अविनाश रंजन गुप्ता
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