बढ़ती आबादी-देश की बरबादी par aalekh lekhan

बढ़ती  आबादी-देश  की  बरबादी

आधुनिक  भारत  में  जनसंख्या  बड़ी  तेज़ी  से  बढ़  रही  है।  देश  के  विभाजन  के  समय  यहाँ  लगभग  42  करोड़  आबादी  थीपरंतु  आज  2019 तक यह  136 करोड़  से  अधिक  है।  हर  वर्ष  यहाँ  एक  श्रीलंका जुड़  रहा  है।  भारत  के  लिए यह एक गंभीर समस्या है क्योंकि यहाँ  साधन  सीमित  है और जनसंख्या पर कोई नियंत्रण नहीं।  जनसंख्या  के  कारण  अनेक  समस्याएँ  उत्पन्न  हो  रही  हैं।  देश  में  बेरोज़गारी  बढ़ती  जा  रही  है।  हर  वर्ष  लाखों  पढ़े-लिखे  युवक रोज़गार  की  तलाश में भटक रहे  हैं।  खाद्य  के  मामले  में  उत्पादन  बढ़ने  के  बावजूद  देश  का  एक  बड़ा  हिस्सा  भूखा  सोता  है।  स्वास्थ्य  सेवाएँ  बुरी  तरह  चरमरा  गई  हैं।  यातायात  के  सभी साधन  भी  बोझ  ढो  रहे  हैं।  कितनी  ही  ट्रेनें  चलाई  जाए या  बसों  की  संख्या  बढ़ाई  जाएहर  जगह  भीड़-ही-भीड़  दिखाई  देती  है।  आवास  की  कमी  हो  गई  है।  परिणामस्वरूप   लोगों  ने  फुटपाथों  व  खाली  जगह  पर  कब्जे  कर  लिए  हैं।  अगर इस पर लगाम नहीं लगाया गया तो स्थिति  और  बिगड़ेगी।   युवाओं को रोजगार न मिलने की दशा में अपराध बढ़ रहे हैं। सरकार द्वारा देश  के  विकास  के  कितने  ही  दावे क्यों न  किए  जाएहकीकत  यह  है  कि  आम  आदमी  का  जीवन  स्तर  बेहद  गिरा  हुआ  है।  बढ़ती हुई आबादी मानव तस्करी को भी बढ़ावा दे रही है। अब यही हाई टाइम है कि  आबादी  को  रोकने  के  लिए  सामूहिक  प्रयास  किए  जाएँ।  सरकार  भी जनसंख्या नियंत्रण हेतु  सख़्त कानून  बनाए तथा  आम  व्यक्ति  को  भी  इस  दिशा  में  स्वयं  पहल  करनी होगी।  ऐसा होने पर ही हम अपने भावी पीढ़ी को एक अच्छा और संतुलित समाज दे सकेंगे और साथ ही साथ हम  भी  विकसित  देशों  की  श्रेणी  में  खड़े  हो  पाएँगे।

Comments