महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा का जन्म सन् 1907 में
उत्तर प्रदेश के फ़रूखाबाद शहर में हुआ था। उनकी शिक्षा—दीक्षा
प्रयाग में हुई। प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्राचार्या पद पर लंबे समय तक कार्य
करते हुए उन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए काफ़ी प्रयत्न किए। सन् 1987 में
उनका देहांत हो गया।
महादेवी जी छायावाद के प्रमुख कवियों में से
एक थीं। नीहार, रश्मि, नीरजा, यामा, दीपशिखा उनके प्रमुख काव्य संग्रह हैं। कविता
के साथ—साथ
उन्होंने सशक्त गघ रचनाएँ भी की हैं जिनमें रेखाचित्र तथा संस्मरण प्रमुख हैं।
अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ, पथ के साथी, शृंखला की
कड़ियाँ उनकी महत्वपूर्ण गघ रचनाएँ हैं। महादेवी वर्मा को साहित्य अकादमी एवं
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से अलंकृत
किया।
महादेवी वर्मा की साहित्य साधना के पीछे एक
ओर आज़ादी के आंदोलन की प्रेरणा है तो दूसरी ओर भारतीय समाज में स्त्री जीवन की वास्तविक
स्थिति का बोध भी है। हिंदी गघ साहित्य में संस्मरण एवं रेखाचित्र को बुलंदियों तक
पहुँचाने का श्रेय महादेवी जी को है। उनके संस्मरणों और रेखाचित्रों में शोषित, पीड़ित लोगों
के प्रति ही नहीं बल्कि पशु—पक्षियों के लिए भी आत्मीयता एवं अक्षय करुणा
प्रकट हुई है। उनकी भाषा—शैली सरल एवं स्पष्ट है तथा शब्द चयन
प्रभावपूर्ण और चित्रात्मक।
मेरे बचपन के दिन में महादेवी जी ने अपने
बचपन के उन दिनों को स्मृति के सहारे लिखा है जब वे विद्यालय में पढ़ रही थीं। इस
अंश में लड़कियों के प्रति सामाजिक रवैये, विद्यालय की सहपाठिनों, छात्रावास
के जीवन और स्वतंत्रता आंदोलन के प्रसंगों का बहुत ही सजीव वर्णन है।
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