मेघ आए

मेघ आए
मेघ आए बड़े बनठन के सँवर के।
आगेआगे नाचतीगाती बयार चली,
दरवाज़ेखिड़कियाँ खुलने लगीं गलीगली,
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बनठन के सँवर के।
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरके।
मेघ आए बड़े बनठन के सँवर के।
बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,
‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’-
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आए बड़े बनठन के सँवर के।
क्षितिज अटारी गहराई दामिनि दमकी,
‘क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की’,
बाँध टूटा झरझर मिलन के अश्रु ढरके।

मेघ आए बड़े बनठन के सँवर के।

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