तालव्य ‘श’ Talavya Sha By Avinash Ranjan Gupta
तालव्य
‘श’
देवनागरी
वर्णमाला का तीसवाँ व्यंजन वर्ण जो भाषा विज्ञान और व्याकरण की दृष्टि से ऊष्म, तालव्य, अघोष और महाप्राण है। 'श' के उच्चारण में जिह्वा तालु को स्पर्श करती है और
हवा दोनों बगलों में स्पर्श करती हुई निकल जाती है,अतएव 'श' तालव्य वर्ण है।
आधे
‘श्’ से
17 शब्दों के अतिरिक्त अन्य शब्दों का गठन
नहीं होता है।परंतु प्रत्यय के प्रयोग से नए शब्द का गठन संभव है।
1.
श्वेत – सफ़ेद
2.
श्वास – सांस
3.
श्वान – कुत्ता
4.
श्वसुर – ससुर
5.
श्वसन – सांस लेने की क्रिया
6.
श्वपच – कुत्ते का मांस खाने वाला
7.
श्व: - आने वाला कल
8.
श्लोक – संस्कृत के पद या छंद
9.
श्लेष्म – बलगम
10.
श्लेषण – संयोग कराना
11.
श्लेष – जुड़ना
12.
श्लीपद – फीलपाँव एक प्रकार की बीमारी जिसमें
हाथ या पैर फूलकर बहुत बड़े हो जाते हैं।
13.
श्लिष्ट – चिपका हुआ
14.
श्लयन – फुर्ती हेतु शरीर के अंगों को ढीला
छोड़ना
15.
श्याम – साँवला
16.
श्लथ – ढीला
17.
श्लाघा – प्रशंसा
श
में चंद्रबिंदु का प्रयोग नहीं होता है। शँ x
'श' वर्ण सामान्यतया संस्कृत, फारसी,
अरबी और अंग्रेज़ी के शब्दों में पाया जाता है; जैसे- पशु, अंश, शराब, शीशा, लाश, स्टेशन, कमीशन इत्यादि।
अगर
‘श’ और
‘स’ दोनों
का प्रयोग एक ही शब्द में हो तो पहले ‘श’ फिर ‘स’ का प्रयोग होता है जैसे –
प्रशंसा, नृशंस, शासक
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