नाटक का आरंभ से अंत By Avinash Ranjan Gupta
नाटक का आरंभ से अंत
नाटक
में आरंभ से लेकर अंत तक पाँच कार्य अवस्थाएँ होती हैं, आरंभ, यत्न, प्राप्त्याशा, नियताप्ती और फलागम
आरंभ-
कथानक (Plot) का आरंभ होता है और फलप्राप्ति की इच्छा जागृत होती है।
यत्न
– इसमें फलप्राप्ति की इच्छा को पूर्ण करने के लिए प्रयत्न किए जाते हैं।
प्राप्त्याशा
- इसमें फलप्राप्ति की आशा उत्पन्न होती है।
नियताप्ती
- इसमें फलप्राप्ति की इच्छा निश्चित रूप ले लेती है।
फलागम
- इसमें फलप्राप्ति हो जाती है।
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