पत्नी प्रेम Patni Prem By Avinash Ranjan Gupta
पत्नी प्रेम
दूर हूँ तुझसे,
पर तुमसे दूर नहीं।
साथ तुम होगी मेरे,
कुछ दिन और सही।
प्यार दोनों का बढ़ता है कुछ इस तरह,
तुम मेरे और मैं जीने की तेरी वजह,
दूरियों ने भी कर दी हैं कम दूरियाँ,
इश्क में ज़रूरी है ऐसा भी कभी-कभी।
दूर हूँ तुझसे,
पर तुमसे दूर नहीं।
साथ तुम होगी मेरे,
आएँगे दिन फिर वही।
ख्वाबों में मेरे आती हो तुम इस कदर,
मोती हो तुम मेरी और मैं तेरा समंदर,
रब में भी मुझको आती है तू अब नज़र,
दूरियाँ कम हो दुआ है ये मेरी अब रब से।
दूर हूँ तुझसे
पर तुमसे दूर नहीं
साथ तुम होगी मेरे
चाहत है बस अब यही।
(विरही पति का अपनी पत्नी से वियोगावस्था में उमड़ने वाले भावों
का लयबद्ध शब्दांकित रूप)
अविनाश रंजन गुप्ता
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