ज़िंदगी का हिसाब Zindagi Ka Hisaab A Poem
ज़िंदगी का हिसाब
कर्म बढ़िया होने चाहिए क्योंकि वक़्त किसी का नहीं होता
जरा सी बात से..
मतलब बदल जाते हैं,
उँगली उठे तो बेइज्जती,
और अँगूठा उठे तो तारीफ़.
अँगूठे से उँगली मिले तो लाजबाब,
यही तो है ज़िंदगी का हिसाब,
इसे ज़रूर याद रखिए का जनाब।
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