शोहरत फ़िदा होती है Shoharat Fida Hoti Hai By Avinash Ranjan Gupta
शोहरत फ़िदा होती है
एक पिता अपनी बेटी के लिए एक ऐसे वर की तलाश
करता है जो उसे दुनिया की सारी खुशी दे सके। एक लड़की भी उस लड़के पर फ़िदा होती है
जिसमें उसे सच्चाई और ईमानदारी नज़र आती है। एक शिक्षक भी उस छात्र पर ज़्यादा ध्यान
देता है, जिसमें उन्हें एक आदर्श नागरिक के लक्षण दिखाई
देते हैं। किसी के गुण, आचरण, लगन, ईमानदारी, कर्मठता पर फ़िदा होना लाज़िमी (Natural) है। ठीक इसी प्रकार शोहरत भी फ़िदा होती हैं, उन
बंदों पर जो शोहरत को अपना बनाने के लिए, सबकुछ गँवाने को
तैयार हो जाते हैं। हालाँकि, बहुत, बहुत, बहुत कम लोग ही शोहरत की तय की गई समाप्ति रेखा (Finishing Line)तक पहुँच पाते हैं। ऐसे लोग आपकी और मेरी तरह ही साधारण होते हैं परंतु
अपनी असाधारण व्यक्तित्व, लगन, कर्मठता
और जुझारूपन से बुलंदियों को हासिल करते हैं।
हवाई जहाज़ सबसे सुरक्षित हवाई अड्डे (Tarmac) पर होता है। पानी जहाज़ सबसे सुरक्षित बंदरगाह (Port) पर होता है। इसी तरह आदमी भी सबसे सुरक्षित अपने घर पर होता है, फिर भी हवाई जहाज़ उड़ने के लिए, पानी जहाज़ समुद्र
में तैरने के लिए और आदमी घर से बाहर निकलने के लिए ही होते हैं। और जब मनुष्य
अपने घर से बाहर निकल ही गया है तो क्या फ़र्क पड़ता है अगर वह छोटे सपने की जगह बड़े
सपने पूरे कर ले। अगर एक छात्र को स्कूल में 6 -7 घंटे बिताने ही है तो क्यों न वो
हर मिनट शैक्षिक रसास्वादन (Academic Interest) करे। अगर एक
कर्मचारी को कार्यालय में 8 घंटे बिताने ही है तो क्यों न वो उन आठ घंटों को उस
दिन का श्रेष्ठ आठ घंटा बना लें और इस तरह लक्ष्य तक पहुँचने के फ़ासले को हर दिन
थोड़ा कम कर लें।
शोहरत से सभी प्यार करते हैं, शोहरत सभी पाना चाहते हैं, ये मानी हुई बात है।
परंतु ध्यान देने वाली बात तो यह है कि शोहरत किसकी दासी बनकर रहना चाहती है? क्या
वह किसी ऐसे को अपना स्वामी चुनेगी जो निठल्ला हो, जिसने कभी भी शोहरत को पाने के लिए किसी भी प्रकार का उद्यम ही न किया
हो। इसके विपरीत वो तो उसे ही अपमा स्वामी चुनेगी जो उसे पाने के लिए अंगारों पर
भी चलने को तैयार हो जाता है।
कभी-कभी लोगों को शोहरत हासिल हो जाने का
भ्रम हो जाता है। ऐसे लोग भौतिक सामानों (Materialistic Things) के अंबार और बैंक-बैलेंस को ही शोहरत मान लेते हैं। वास्तव में, शोहरत किसी व्यक्ति के अतीत की खामियों को ढँकते हुए उसके वर्तमान
व्यक्तित्व का सकारात्मक प्रभाव दूसरों पर डालती है। ऐसे व्यक्तियों को दुर्लभों की
श्रेणी में रख दिया जाता है जिसे मानव सभ्यता अपनी विरासत के रूप में सदैव के लिए
संभाल कर रख लेती है। आपके जहन में भी कुछ ऐसे व्यक्तियों के नाम ज़रूर उभर रहे
होंगे जिनपर शोहरत फ़िदा हुई थी।
सोने को खरा बनाने के लिए आग में तपाया जाता
है जब तक हम अपनी सुख-सुविधा वाली मानसिकता (Comfort Zone
Mentality) से बाहर नहीं निकलेंगे,
कर्मक्षेत्र में पूरी तैयारी के साथ नहीं उतरेंगे, तब तक
शोहरत हम पर फ़िदा नहीं होगी।
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