बढ़ती आबादी-देश की बरबादी Population Explosion an Article
बढ़ती आबादी-देश की बरबादी
आधुनिक
भारत में जनसंख्या
बड़ी तेज़ी से बढ़ रही है। देश के विभाजन
के समय यहाँ लगभग 42 करोड़ आबादी थी, परंतु आज यह एक सवा
सौ करोड़ से अधिक है। हर वर्ष यहाँ एक आस्ट्रेलिया
जुड़ रहा है। भारत के मामले में यह स्थिति
अधिक भयावह है। यहाँ साधन सीमित है। जनसंख्या के कारण अनेक समस्याएँ उत्पन्न
हो रही हैं। देश में बेरोज़गारी बढ़ती जा रही है। हर वर्ष लाखों पढ़े-लिखे लोग रोज़गार की लाइन में खड़े
रह रहे
हैं। खाद्य के मामले में उत्पादन बढ़ने के बावजूद
देश का एक बड़ा हिस्सा
भूखा सोता है। स्वास्थ्य सेवाएँ
बुरी तरह चरमरा गई हैं। यातायात के साधन भी बोझ ढो रहे हैं। कितनी ही ट्रेनें चलाई जाए या बसों की संख्या बढ़ाई जाए, हर जगह भीड़-ही-भीड़ दिखाई देती है। आवास की कमी हो गई है। इसका परिणाम
यह हुआ कि लोगों ने फुटपाथों व खाली जगह पर कब्जे कर लिए हैं। आने वाले समय में यह स्थिति और बिगड़ेगी जनसंख्या
बढ़ने से देश में अपराध भी बढ़ रहे हैं,
क्योंकि जीवन-निर्वाह में सफल न होने पर युवा अपराधियों
के हाथों का खिलौना बन रहे हैं। देश के विकास के कितने ही दावे किए जाए, सच्चाई यह है कि आम आदमी का जीवन स्तर बेहद गिरा हुआ है। आबादी को रोकने के लिए सामूहिक प्रयास
किए जाने चाहिए।
सरकार को भी सख़्त
कानून बनाने होंगे तथा आम व्यक्ति को भी इस दिशा में स्वयं पहल करनी होगी। यदि जनसंख्या
पर नियंत्रण नहीं किया गया हम कभी भी विकसित
देशों की श्रेणी
में नहीं खड़े हो पाएँगे।
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