MAHADEVI VERMA – BHAKTIN महादेवी वर्मा भक्तिन महत्त्वपूर्ण तथ्य Important Facts By Avinash Ranjan Gupta


महत्त्वपूर्ण तथ्य

पाठ भक्तिन के कुछ स्मरणीय बिंदु 
1.     पाठ भक्तिन’ की लेखिका  महादेवी वर्मा  हैं।
2.     भक्तिन का वास्तविक नाम लक्ष्मी था, वह झूँसी गाँव के  प्रसिद्ध सूरमा की  इकलौती बेटी थी। उसका विवाह पाँच वर्ष में और 9 वर्ष में गौना हो चुका था। वह जब काम की तलाश में महादेवी के पास आई तो महादेवी ने उसके हाव-भाव- चाल-चलन, मुँडा हुआ सिर और गले में माला देखकर उसका नाम भक्तिन रख दिया।   
3.     भक्तिन का जीवन चार परिच्छेद में बँटा हुआ है-  
प्रथम – विवाह से पूर्व
द्वितीय – ससुराल में सधवा के रूप में
तृतीय – ससुराल में विधवा के रूप में विरक्त जीवन
चतुर्थ – महादेवी की सेवा में
4.     तीतरबाज़ युवक द्वारा भक्तिन के बेटी पर जो चारित्रिक दाग लगता है उसके पीछे भक्तिन की जिठानी और जिठौत दोषी हैं।   
5.     पाठ में वर्णित पंचायत अयोग्य है। पंचों के पास न तो न्याय करने की योग्यता है और न ही इच्छा। वे पुरुष प्रधान समाज के नुमाइंदे हैं जहाँ स्त्रियों की गुहार सुननेवाला कोई भी नहीं है।       
6.     भक्तिन प्रखर तर्कशीला है। वह जिस बात को मानती है उसे पूरी शक्ति से कहती है। पैसों को इधर-उधर रखने को वह चोरी नहीं मानती बल्कि पैसे को सँभालकर रखना कहती है।  केश मुँडाने  के पीछे वह शास्त्रों का हवाला देती है।
7.     भक्तिन जीवन भर अपरिवर्तित ही रही क्योंकि उसमें अपने आपको बदलने की तनिक भी इच्छाशक्ति नहीं थी। दूसरी तरफ़ वह अपने सिद्धांतों के प्रति दृढ़व्रती भी थी इसलिए तो उसने कभी भी रसगुल्ला नहीं चखा और न ही आँय की जगह जी बोलना सीखा।   
8.     भक्तिन 29 वर्ष में विधवा हो चुकी थी। उनकी जेठ जिठानियों ने उसे दूसरी शादी करने की सलाह दी ताकि वे भक्तिन की संपत्ति हथिया सके परंतु भक्तिन ने शास्त्रों की मर्यादा के अनुसार केश मुँडा लिए और वैधव्य जीवन जीना शुरू कर दिया।   
9.     भक्तिन सेवा धर्म का मर्म जानती है इसलिए वह अधिकांश समय महादेवी की सेवा में बिताना चाहती है। यहाँ तक कि जेल के नाम से थर -थर  काँपने वाली भक्तिन को जब यह पता चलता है कि उसकी मालकिन को जेल हो सकती है तो वह भी अपने मालकिन के साथ जेल जाने को तैयार हो जाती है। युद्ध के खतरे में भी वह महादेवी अकेला नहीं छोड़ना चाहती है ।  

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