AAROH CLASS – XII CHAPTER -18 BABA SAHEB BHIMRAO AMBEDKAR- SHRAM VIBHAJAN AUR JAATIPRATHA, MERI KALPANA KA AADARSH SAMAJ . बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर 1. श्रम विभाजन और जाति—प्रथा 2. मेरी कल्पना का आदर्श समाज महत्त्वपूर्ण तथ्य Important Facts By Avinash Ranjan Gupta
महत्त्वपूर्ण तथ्य
पाठ ‘श्रम
विभाजन आरै जाति—प्रथा के कुछ स्मरणीय बिंदु –
1.
पाठ ‘श्रम विभाजन आरै जाति—प्रथा’ के लेखक बाबा साहेब भीमराव
आंबेडकर हैं।
2.
प्रस्तुत पाठ आंबेडकर के
विख्यात भाषण एनीहिलेशन ऑफ़ कास्ट का अंश है। यह भाषण जाति—पाँति तोड़क
मंडल (लाहौर) के वार्षिक सम्मेलन (सन् 1936) के अध्यक्षीय भाषण के रूप में
तैयार किया गया था।
3.
जाति-प्रथा श्रमिकों में
भेद पैदा करती है और यह श्रमिकों की रुचि पर आधारित न होकर जाति पर आधारित होती है।
इस वजह से असामाजिक और आर्थिक असंतुलन की स्थिति पैदा हो जाती है। जाति-प्रथा लोगों को अपना व्यवसाय बदलने नहीं
देती जिसके कारण लोगों को भूखा मरना पड़ता है।
4.
लेखक की राय से लोकतंत्र वह है जिससे सभी को लाभ मिले बिना यह विचार किए
कि लाभ पाने वाला व्यक्ति किस धर्म और जाति का है।
5.
मनुष्य की क्षमता शारीरिक
वंश परंपरा, सामाजिक उत्तराधिकार और
मनुष्य के अपने प्रयत्न पर निर्भर करता है।
6.
आदर्श समाज स्वतंत्रता, समता और भ्रातृता पर आधारित होगा।
7.
आंबेडकर ने जाति-प्रथा के
आधार पर काम-धंधे अपनाने की परंपरा को ‘दासता’ कहा है।
8.
लेखक के अनुसार मनुष्य की
कार्यकुशलता को अधिकतम तभी बढ़ाया जा सकता है जब उसे यथासंभव समान अवसर और व्यवहार
दिया जाए।
9.
लेखक के अनुसार लोगों को
उनकी कार्यकुशलता और आचरण के आधार पर प्राथमिकता मिलनी चाहिए न कि उनके जाति के
आधार पर। तभी जाकर देश की उन्नति हो सकती है।
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