AAROH CLASS – XII CHAPTER -14 FANISHWARNAATH RENU – PAHALWAAN KI DHOLAK फणीश्वर नाथ रेणु पहलवान की ढोलक महत्त्वपूर्ण तथ्य Important Facts By Avinash Ranjan Gupta
महत्त्वपूर्ण तथ्य
पाठ ‘पहलवान
की ढोलक’ के कुछ स्मरणीय बिंदु –
1.
पाठ ‘पहलवान
की ढोलक’ के लेखक फणीश्वर नाथ रेणु हैं।
2.
चाँद सिंह को ‘ शेर
के बच्चे’ की उपाधि
मिली थी। वह अपने गुरु पहलवान बादल सिंह के
साथ, पंजाब से पहले—पहल
श्यामनगर मेले में कुश्ती लड़ने आया था।
3.
लुट्टन ने अपने दाँव-पेंच से चाँद सिंह को हरा दिया और राजा श्यामानंद ने उसे अपने दरबार में सदा के लिए रख लिया।
4.
लुट्टन सिंह ढोलक को ही अपना
गुरु मानता था। वह अपने दोनों बेटों को भी
पहलवानी सिखाता है ताकि वे राज्य की सेवा में लग सकें।
5.
राजा श्यामानंद की मृत्यु
के बाद उसका बेटा जो विलायत में पढ़ता था उसने पहलवानों पर हो रहे खर्चे को देखकर
पहलवानी की जगह घुड़सवारी के लिए तय कर दी और लुट्टन को अपने बेटों सहित पुनः अपने
गाँव जाना पड़ा।
6.
मैनेजर के राजनीतिक षड्यंत्र
के कारण ही लुट्टन को राज संरक्षण मिलना बंद हो गया क्योंकि उसने नए राजा को
पहलवानों पर होने वाले खर्चे को महाभयंकर
कहा।
7.
लुट्टन ने कई जगहों पर
सर्वाधिक हिम्मत दिखाई है जैसे अपनी सास की सुरक्षा के लिए पहलवान बनते समय, श्यामनगर के मेले में चाँद सिंह को हराते समय, बेटों की मृत्यु पर उनका अंतिम संस्कार करते समय और बेटों की मृत्यु के
बाद भी ढोलक बजाते समय।
8.
पहलवान की अंतिम इच्छा यही थी
कि उसे चिता पर पेट के बल पर लिटाया जाए चित्त न लिटाया जाए क्योंकि वह कभी भी
चित्त नहीं हुआ था। वह यह भी चाहता था कि आग देते समय ढोलक ज़रूर बजाया जाए।
9.
काला खाँ को हराने के बाद
लुट्टन अपने जिले का सबसे विख्यात पहलवान बन गया।
10.
रात के भयानक सन्नाटे में
पहलवान की ढोलक से लोगों में आशा और जीवंतता का संचार होता था। मृत्यु से जूझते
हुए लोगों में मानो संजीवनी शक्ति आ जाती थी।
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