SHAILENDRA – TEESRAI KASAM KE SHILPKAAR प्रहलाद अग्रवाल — तीसरी कसम के श्ल्पिकार श्ौलेंद्र CLASS X HINDI B 5 MARKS QUESTIONS ANSWERS



5 Marks Questions

1.    पाठ के आधार पर शैलेंद्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
2.    शैलेंद्र के गीतों की क्या विशेषताएँ हैं?
3.    उनका यह दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रूचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए। कलाकार का कर्त्तव्य भी है कि वे उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे।’- आशय स्पष्ट कीजिए


5 Marks Answers
1. पाठ के आधार पर शैलेंद्र के व्यक्तित्व में निम्नलिखित विशेषताएँ दृष्टिगोचर होती हैं-
सच्चा कवि हृदय- शैलेंद्र निर्माता बनने के उपरांत भी साहित्यिक स्तर से कोई समझौता करने को तैयार नहीं हुए। वे एक सच्चे कवि हृदय व्यक्ति थे।
धन लिप्सा से दूर- शैलेंद्र केवल आत्म संतुष्टि के लिए कार्य करते थे। यश या धन की चाह उन्हें छू तक नहीं गई थी। राजकपूर द्वारा असफलता के खतरे से आगाह करने के बावजूद भी वे मूल रचना से छेड़छाड़ को तैयार नहीं हुए।
कर्त्तव्य परायण- शैलेंद्र का स्पष्ट मत था कि दर्शकों की रुचि की आड़ में उथलापन नहीं थोपना चाहिए वरन् उनकी रुचियों का परिष्कार करना चाहिए।
इस प्रकार शैलेंद्र एक सच्चे कवि और महान साहित्यकार थे
2.   शैलेंद्र के गीत भाव-प्रवण हैं परंतु दुरूह नहीं हैं। उनके गीत संवेदनापूर्ण हैं और वे सरलता से समझ मे आते हैं। उन्होंने सरल शब्दों में गहरी बात कहने का प्रयास किया। उनके गीत दर्शकों की रुचियों का परिष्कार करने वाले होते हैं। उनके गीतों में नदी का प्रवाह और सागर की गहराई है। उनमें करुणा रची-बसी होती है परंतु ये व्यथा पराजित नहीं करती वरन् आगे बढ़ने का संदेश देती है।    
3.   शैलेंद्र  ने  श्री  420  फिल्म  के  लिए  एक  गीत  लिखा  था  प्यार  हुआ  इकरार  हुआ  इसका  एक  अंतरा  था  रातें  दसों  दिशाओं  से  कहेंगी  अपनी  कहानियाँ’,  इस  पर  संगीतकार  शंकर-  जयकिशन  ने  यह  कहकर  आपत्ति  की  कि  दर्शक  चार  दिशाएँ  तो  समझ  सकते  हैं  परंतु  दस  दिशाएँ  नहीं।  परंतु  शैलेंद्र  परिवर्तन  के  लिए  तैयार  नहीं  हुए।  उनका  कहना  था  कि  फिल्म-निर्मातों  को  दर्शकों  की  रूचि  की  आड़  में  अपने  स्टार  को  गिराकर  उसे  सस्ता,  फूहड़  और  उथला  नहीं  बनाना  चाहिए  वरन्  उनका  ये  कर्त्तव्य  है  कि  वह  दर्शकों  की  रूचि  का  परिष्कार  कर  उसे  भी  उच्च  स्तर  की  बनाए। 

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