बिहारी के दोहे BIHAREE KE DOHE CLASS X B 5 MARKS QUESTION ANSWERS
5 Marks
Questions
1. बिहारी की नायिका यह क्यों कहती है ‘कहिहै सबु तेरो हियो, मेरे हिय की बात’-स्पष्ट कीजिए।
2. बिहारी कवि ने सभी की उपस्थिति में भी कैसे बात की जा सकती है, इसका वर्णन किस प्रकार किया है? अपने शब्दों में लिखिए।
3. बिहारी के दोहों का प्रतिपाद्य लिखिए।
5
Marks Answers
1.
बिहारी की नायिका ऐसा इसलिए कहती है क्योंकि उससे प्रेम-संदेश न तो
कागज पर लिखते बनता है और न ही वह बोलकर व्यक्त कर सकती है क्योंकि ऐसा करने में
उसे लज्जा का अनुभव होता है इसीलिए वह सोचती है कि जो दशा उसकी है वही नायक की भी
होगी। वह भी वही अनुभव कर रहा होगा जो नायिका अनुभव कर रही है क्योंकि प्रेम तो
अनुभव की वस्तु है और वह कह उठती है ‘कहिहै सबु तेरो हियो, मेरे हिय
की बात’।
2.
बिहारी कवि ने सभी की उपस्थिति में नायक-नायिका
द्वारा प्रणय-वार्तालाप
का वर्णन किया है। जिसमें नायक भरे हुए घर में परिजनों के बीच बैठी नायिका प्रेम
निवेदन करता है जिस पर नायिका मना कर देती है। नायिका की इस भाव-भंगिमा
पर नायक रीझता है ।उसके ऐसा करने पर नायिका खीझकर नायक को देखती है । उनके नेत्र
परस्पर मिलते हैं जिससे नायक का चेहरा खिल उठाता है और नायिका लजा जाती है। इस
प्रकार दोनों भरे हुए घर में प्रेम की सभी चेष्टा करते हैं।
3.
हमारी पाठ्य पुस्तक में बिहारी प्रणीत ‘बिहारी सतसई’ से जिन दोहों को संकलित किया गया है उसमें
कृष्ण के रूप, गोपियों के साथ प्रणय और ग्रीष्म ऋतु आदि का वर्णन किया गया है -
Ø पहले दोहे में कृष्ण के श्याम तन पर पीतांबर की शोभा का वर्णन किया गया है।
Ø दूसरे दोहे में ग्रीष्मकाल में प्रचंड गर्मी के कारण पशुओं के पारंपरिक शत्रुता भुलाकर एक ही स्थान पर रहने के विषय में बताया गया है।
Ø तीसरे दोहे में गोपियों के कृष्ण से बातों का आनंद लेने के लालच में उनकी मुरली छिपाकर सताने का वर्णन किया है।
Ø चौथे दोहे में नायक-नायिका की समस्त प्रेम-चेष्टाओं की अभिव्यक्ति नेत्रों से ही करने का अभूतपूर्व वर्णन है।
Ø पाँचवे दोहे में ग्रीष्म ऋतु में स्वयं छाया द्वारा छाया चाहने के कारण उसके वन में या घर में छिपने की बात बताते हैं।
Ø छठे दोहे में नायक को नायिका द्वारा प्रेम संदेश भेजते समय की दुविधा और अपनी भावाभिव्यक्ति बड़ी चतुराई से करने के विषय में बताया गया है।
Ø सातवें दोहे में कवि स्वयं और भगवान कृष्ण में समानता बताते हुए उनसे स्वयं के कष्ट हरने की प्रार्थना करते हैं।
Ø आठवें दोहे में कवि ने प्रभु प्राप्ति के लिए जपमाला, छापा-तिलक आदि बाह्य आडंबरों की अपेक्षा सच्ची साधना पर बल दिया है।
इस प्रकार बिहारी ने छोटे-छोटे दोहों में भावों की सफल अभिव्यक्ति की है।
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