बिहारी के दोहे BIHAREE KE DOHE CLASS X B 2 MARKS QUESTION ANSWERS
2 Marks
Questions
1. ग्रीष्म ऋतु में संसार तपोवन सा कैसे हो जाता है?
2. गोपियाँ कृष्ण की बाँसुरी क्यों छिपा लेती हैं ?
3. सच्चे मन में राम बसते हैं - दोहे के संदर्भानुसार स्पष्ट कीजिए।
4. छाया भी कब छाया ढूँढने लगती है?
5. सन्देश भेजते समय नायिका किस दुविधा में है?
6. बिहारी ने श्रीकृष्ण के सौन्दर्य का वर्णन किस प्रकार किया है?
7. बिहारी के दोहों के आधार पर कृष्ण का वर्णन कीजिए।
8. बिहारी के दोहों के आधार पर ग्रीष्म ऋतु का वर्णन कीजिए।
9. बिहारी के अनुसार प्रभु की प्राप्ति के लिए क्या आवश्यक है?
2
Marks Answers
1. तपोवन में
ऋषि-मुनियों
की तपस्या
के प्रभाव
से हिंसक
जीव भी
अपनी हिंसक
प्रवृत्तियों का
त्याग कर
देते हैं
और एकता
से रहते
हैं। उसी
प्रकार ग्रीष्म
ऋतु में
भी परम्परागत
शत्रु पशु
भी अपनी
शत्रुता को
भुलाकर एक
ही स्थान
पर बैठते
हैं। इसीलिए
ग्रीष्म ऋतु
में संसार
तपोवन के
सामान बन
जाता है।
2.
गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी उनसे बात करने का आनंद उठाने के लालच में छिपा लेती हैं क्योंकि जब कृष्ण उनसे बाँसुरी के विषय में पूछते हैं तो वे सौगंध खाकर मना कर देती हैं। परंतु उनकी आँखों में छिपी शरारत भरी मुस्कान देखकर कृष्ण को संदेह हो जाता है और वे बाँसुरी माँगते हैं तो वे फिर मना कर देती हैं जिससे कृष्ण उनसे फिर आग्रह करें और वे उनसे बातें करने का आनंद उठा सकें ।
3. सच्चे मन
में राम
बसते हैं
क्योंकि जपमाला
या तिलक- छापों से
हम प्रभु
की प्राप्ति
नहीं कर
सकते। इन
सब बाह्य
आडम्बरों से
हमारा मन
पक्के रूप
से प्रभु
में नहीं
रमता और
हम सांसारिक
भोग विलासों
के पीछे
व्यर्थ में
नाचते रहते
हैं। परंतु
जब हम
भोग-विलास
छोड़कर सच्चे
मन से
प्रभु का
स्मरण करते
हैं तब
हमें प्रभु
की प्राप्ति
हो जाती
है।
4. ग्रीष्म ऋतु में जब सूर्य प्रचंड धूप बरसाता है और पृथ्वी पर अग्नि-सी बरसने लगती है तब छाया भी सघन वनों और घर में घुसकर छाया भी छाया ढूँढने लगती है ।
5. सन्देश भेजते
समय नायिका
की दुविधा
यह है
कि वह
कागज़ पर
लिखकर सन्देश
नहीं दे
सकती थी
और कहकर
सन्देश देने
में उसे
लज्जा का
अनुभव होता
था। वह
समझ नहीं
पा रही
थी कि
वह नायक
तक सन्देश
कैसे भेजे
।
6.
बिहारी
कहते हैं कि कृष्ण का शरीर साँवला-सलौना था। वे अपने शरीर पर पीताम्बर धारण करते थे।
उनके सा साँवले शरीर पर पीताम्बर इस प्रकार शोभायमान होता है मानो नीलमणि-पर्वत पर सुबह की
पीली धूप पड़ रही हो ।
7. बिहारी के दोहों के आधार पर हमें कृष्ण के विषय में निम्नलिखित बाते ज्ञात होती हैं- कृष्ण का रंग साँवला है और शरीर सलौना है। उनके साँवले शरीर पर पीले वस्त्र इस प्रकार शोभायमान होते हैं मानो नीलमणि पर्वत पर सुबह की पीली धूप पड़ रही हो। कृष्ण गोपियों के प्रिय हैं। वे उनसे बातें करने के लिए लालायित रहती हैं। उनसे बातें करने के लालच में गोपियाँ उनकी मुरली छिपा देती हैं और बार-बार सौगंध खाकर मुरली अपने पास होने से इनकार कर देती हैं और फिर हँसकर संदेह उत्पन्न कर देती हैं और बातों का आनंद लेती हैं ।
8. बिहारी के दोहों के आधार पर हम कह सकते हैं कि ग्रीष्म काल में इतनी प्रचंड गर्मी पड़ती है कि परम्परागत शत्रु पशु जैसे- मयूर और सर्प तथा बाघ और मृग भी अपनी शत्रुता भुलाकर एक ही स्थान पर बैठते हैं और इस कारण संसार तपोवन के समान प्रतीत होता है। जेठ मास की तपती दुपहरी में छाया के दर्शन केवल सघन वन या घर में ही होते हैं ऐसा लगता है कि मानो छाया भी छाया चाहती है।
9. बिहारी के
अनुसार प्रभु
की प्राप्ति
केवल माला
जपने, छापे-तिलक लगाने
आदि बाह्य
आडम्बरों से
प्रभु की
प्राप्ति नहीं
होती। जब
तक मन
कच्चा होकर
इधर-उधर
व्यर्थ भटकता
रहता है
ईश्वर-प्राप्ति
संभव नहीं
क्योंकि बिहारी
के अनुसार
राम अर्थात्
ईश्वर तो
सच्चे मन
में वास
करते हैं।
अतः समर्पित
मन से
ईश-भक्ति
करने वाले
को ही
प्रभु की
प्राप्ति होती
है।
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