Cashless India Campaingn
कैशलेस इंडिया / नकदमुक्त
भारत
भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद
भारत के चौमुखी विकास के लिए सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं और अनेक अभियान भी चलाए
हैं जिसमें कैशलेस
इंडिया अभियान भी है। केंद्र सरकार
द्वारा उच्च मूल्य वर्ग की मुद्रा के विमुद्रीकरण एवं भारत में नकदी रहित
अर्थव्यवस्था का विकास करने की दिशा में उठाए गए अन्य कदमों का स्वागत भी किया
गया और साथ ही आलोचना भी हुई। पूरे देश में बड़े पैमाने पर 500
रुपए और 1000
रुपए के
पुराने नोटों को प्रतिबंधित करने के फलस्वरूप उपजी नकदी की भारी कमी के खिलाफ़ देश भर में विपक्षी दलों द्वारा
जबरदस्त विरोध
प्रदर्शन किया गया। हालाँकि, प्रारंभिक
कठिनाइयों का दौर अब थम गया है और लोग डिजिटल माध्यमों द्वारा भुगतान को भी
सुरक्षित एवं सुविधाजनक महसूस करने लगे हैं। इसके अलावा, नकदीरहित अर्थव्यवस्था को प्रश्रय
देने के लिए एवं लोगों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से नरेंद्र मोदी सरकार ने
कई लाभकारी घोषणाएँ भी की हैं। नवीनतम विश्व बैंक की
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि विमुद्रीकरण की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था की
सेहत पर कोई दीर्घकालिक प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। बल्कि यह भारतीय
अर्थव्यवस्था के लिए अंततः लाभकारी ही सिद्ध होगा। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था की
विकास दर में भी अच्छी प्रगति होने की संभावना है। विश्व बैंक के अनुसार 2018
में भारतीय
अर्थव्यवस्था 7.6% की विकास दर को प्राप्त कर लेगी और साथ ही विमुद्रीकरण
की वजह से बैंकों में पर्याप्त नकदी वापिस आने की वजह से ब्याज़ दरों में भी कमी आई है जिससे
आर्थिक गतिविधियों में तेज़ी आने
के आसार हैं।
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