Prashn 3
लिखित
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
1 - गांधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी; उदाहरण सहित इस बात की पुष्टि कीजिए।
2 - आपके विचार से कौन—से ऐसे मूल्य हैं जो शाश्वत हैं? वर्तमान समय में इन मूल्यों की संगिकता स्पष्ट कीजिए।
3 - अपने जीवन की किसी ऐसी घटना का उल्लेख कीजिए जब -
(1) शुद्ध आदर्श से आपको हानि—लाभ हुआ हो।
(2) शुद्ध आदर्श में व्यावहारिकता का पुट देने से लाभ हुआ हो।
4 - ‘शुद्ध सोने में ताँबे की मिलावट या ताँबे में सोना’, गांधीजी के आदर्श और व्यवहार के संदर्भ में यह बात किस तरह झलकती है? स्पष्ट कीजिए।
5 - ‘गिरगिट’ कहानी में आपने समाज में व्याप्त अवसरानुसार अपने व्यवहार को पल—पल में बदल डालने की एक बानगी देखी। इस पाठ के अंश ‘गिन्नी का सोना’ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि ‘आदर्शवादिता’ और ट्टव्यावहारिकता’ इनमें से जीवन में किसका महत्त्व है?
6 - लेखक के मित्र ने मानसिक रोग के क्या—क्या कारण बताए? आप इन कारणों से कहाँ तक सहमत हैं?
7 - लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है, उसी में जीना चाहिए। लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा? स्पष्ट कीजिए।
1. उत्तर- यह कथन पूर्णत: सत्य है कि गांधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी। उन्होंने नमक कानून तोड़ा, दांडी यात्रा की, असहयोग आंदोलन किया, स्वदेशी आंदोलन किया जो इस बात की पुष्टि करता है कि वे आदर्शवादी थे। उनके इसी आदर्शवादिता ने ही तो शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध लोगों को संगठित किया। गांधीजी ने सत्य और अहिंसा जैसे शाश्वत मूल्य समाज को दिया है।
2. उत्तर- मेरे विचार से ये मूल्य शाश्वत हैं- सत्य, अहिंसा, दया, प्रेम, भाईचारा, त्याग, परोपकार, मीठी वाणी, मानवीयता इत्यादि। वर्तमान समाज में इन मूल्यों की प्रासंगिकता बनी हुई है। जहाँ- जहाँ और जब-जब इन मूल्यों में गिरावट आई है वहाँ तब-तब समाज का नैतिक पतन हुआ है। भले ही आज हम तकनीकी क्षेत्र में विकसित हो चुके हों पर अभी भी हम हर रोज़ इन मूल्यों के गिरावट से होने वाले कुपरिणामों को देख सकते हैं।
3. गृह कार्य ?
4. उत्तर- गांधीजी ने सदा सत्य और अहिंसा की दुहाई दी है। अगर पाठ से अलग इस बात की चर्चा की जाए तो उन्होंने सत्य और अहिंसा की व्याख्या करते हुए यह बात स्पष्ट कर दी कि यदि कोई गाय भागी जा रही है तथा कसाई उसे ढूँढ़ता हुआ आपसे पूछे कि आपने यहाँ से भागती हुई किसी गाय को देखा है, वह किस ओर गई है? इस अवसर पर सत्य बोलकर गाय की जान जोखिम में डालना गलत होगा। इस कथन से स्पष्ट हो जाता है कि गांधीजी के आदर्श और व्यवहार में हमेशा शुद्ध सोना ही झलकता है।
5. उत्तर- ‘गिरगिट’ कहानी में इंस्पेक्टर का व्यवहार अवसर के अनुकूल अपने लाभ के लिए बदलता रहता था। वह हर प्रकार से उस अवसर का पूरा-पूरा लाभ उठाना चाहता था। यह कोरी अवसरवादिता आज की व्यावहारिकता का ही पर्याय है। आज ऊपरी तौर पर भले ही व्यवहारवादी सफ़ल होते दिखाई पड़ रहे हों, वे भले ही लाभ हानि की गणना कर स्वयं को ऊपर उठाते जा रहे हों पर इस प्रक्रिया में वे दूसरों को पीछे धकेलते हैं और खुद आगे बढ़ते हैं। भले ही जिन्हें वो धकेल रहे हों वे कितने ही गुणवान क्यों न हों। दूसरी बात, इस प्रक्रिया में वे जीवन मूल्यों को पूरी तरह से रौंद देते हैं। यदि समाज का प्रत्येक व्यक्ति आदर्शों की होली जलाकर आग सेंकने लगे तब तो समाज विनाश के गर्त में ही चला जाएगा। किसी भी समाज की उन्नति सही मायने में उस समय ही हो सकती है जब वहाँ शाश्वत मूल्यों का विकास हो रहा हो। जीवन मूल्यों और नैतिकता के विकास को ही सभ्यता का विकास माना जा सकता है। कोरी अवसरवादिता या व्यावहारिकता से समाज का पाटन होता है। अतएव मानव-उत्थान के लिए आदर्शवाद का ही महत्त्व है।
6. उत्तर- लेखक ने अपने मित्र को मानसिक रोग के निम्नलिखित कारण बताए
- वे हमेशा अमेरिका से आगे निकला चाहते हैं।
- वे तनावग्रस्त स्थिति में काम करते रहते हैं।
- वे किसी भी काम को जल्दी से जल्दी पूरा करना चाहते हैं।
- उनके दिमाग में स्पीड का इंजन लगा हुआ है।
मैं इन कारणों से पूर्णत: सहमत हूँ। अत्यधिक काम का बोझ और तनाव मनुष्य को मानसिक रूप से बीमार बना ही देता है।
7. उत्तर- लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है, उसी में जीना चाहिए। लेखक ने ऐसा कहा है क्योंकि उनके मतानुसार मनुष्य का अधिकांश समय या तो भूतकाल की बातों के बारे में सोचते हुए बीतता है या भविष्य की चिंता में। वह कभी भी वर्तमान का आनंद नहीं ले पाता। जो बीत चुका है उस पर हमारा कोई अधिकार नहीं होता है और जो आया ही नहीं है उसकी चिंता कर कर हम अपना वर्तमान गवाँ देते हैं जबकि सत्य तो यह है कि अगर हम वर्तमान का निर्वाह सही तरीके से करे तो हमारा भूत और भविष्य दोनों ठीक हो जाएगा।
Comments
Post a Comment