Prashn 2
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
1 - ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को ‘सैल्यूलाइड पर लिखी कविता’ क्यों कहा गया है?
2 - ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को खरीददार क्यों नहीं मिल रहे थे?
3 - शैलेंद्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य क्या है?
4 - फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरिफ़ाई क्यों कर दिया जाता है?
5 - ‘शैलेंद्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं’ - इस कथन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
6 - लेखक ने राजकपूर को एशिया का सबसे बड़ा शोमैन कहा है। शोमैन से आप क्या समझते हैं?
7 - फ़िल्म ‘श्री 420’ के गीत ‘रातों दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति क्यों की?
1. ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म की कथा फणीशवरनाथ रेणु की अत्यंत मार्मिक साहित्यिक रचना पर बनी थी। फ़िल्म की कथा में भावनाओं का उचित व सटीक वर्णन हुआ है इसलिए इसे फ़िल्म न मानकर सैल्यूलाइड पर लिखी कविता कहा गया है
2. तीसरी कसम’ फ़िल्म को खरीददार नहीं मिल रहे थे क्योंकि फ़िल्म खरीददार अपने आर्थिक लाभ का हिसाब लगाकर ही फ़िल्म खरीदते हैं तथा व्यापारिक प्रवृत्ति वाले इस फ़िल्म की संवेदना व कलात्मकता को समझ नहीं पाए। दूसरी बात इस फ़िल्म का प्रचार भी नहीं हुआ था।
3. शैलेंद्र उत्कृष्ट कोटि के कवि थे। उनका मानना था कि कलाकार का कर्तव्य है कि वह दर्शकों पर उनकी रुचि की आड़ में उथलापन न थोंपे बल्कि दर्शकों की रुचियों का परिष्कार करें।
4. फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरिफ़ाई कर दिया जाता है ताकि दर्शकों का भावनात्मक शोषण हो सके। इस प्रकार दर्शकों की संख्या व फ़िल्म की प्रसिद्धि दोनों को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। हर भावना को बढ़ा-चढ़ा कर प्रदर्शित कर फ़िल्म को अधिक व्यावसायिक बनाया जाता है।
5. शैलेंद्र और राजकपूर में मित्रता थी। जब शैलेंद्र ‘तीसरी कसम’ की कहानी सुनाने गए तो कहानी सुनने के बाद उत्साहपूर्वक काम करना स्वीकार कर लिया। शैलेंद्र की कहानी ने राजकपूर की अभिनय कला को नए मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया। इयसलिए कहा गया है, “शैलेंद्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं।”
6. शोमैन से अभिप्राय उस कलाकार से है जो अपनी कलकारी और अभिनय की भिन्नता से विशाल फ़लक पर अपनी पहचान बनाकर दर्शकों के हृदय पर राज कर सके। राजकपूर इसी प्रकार के कलाकार थे। वे अभिनय कला की उन ऊँचाइयों तक पहुँच गए थे कि जिस भी किरदार को निभाते उसी में पूरी तरह समा जाते और अपनी अमिट छाप छोड़ देते।
7. संगीतकार जयकिशन का मानना था कि दर्शक दस दिशाएँ नहीं समझ सकते। वे तो मात्र चार दिशाएँ ही समझ सकते हैं। इसलिए शैलेंद्र को अपने गीत की उस पंक्ति में ‘दस दिशा’ को बदलकर ‘चार दिशा’ करना चाहिए ।
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