Prashn 2
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
I 1 - शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है?
II 2 - चाजीन ने कौन—सी क्रियाएँ गरिमापूर्ण ढंग से पूरी कीं?
3 - ‘टी—सेरेमनी’ में कितने आदमियों को प्रवेश दिया जाता था और क्यों?
4 - चाय पीने के बाद लेखक ने स्वयं में क्या परिवर्तन महसूस किया?
1. उत्तर- शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से की गई है क्योंकि शुद्ध सोने में जितनी शुद्धता और पवित्रता होती है उतनी ही शुद्धता और पवित्रता आदर्शवादी व्यक्ति में भी होती है जबकि व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से की गई है क्योंकि व्यावहारवादी लोग मौकापरस्त होते हैं। उनके हरेक कार्य में स्वार्थ की बू आती है।
2. उत्तर- चाजीन ने बड़े सलीके से कमर झुकाकर अतिथियों को प्रणाम किया फिर बैठने की जगह दिखाई, अँगीठी सुलगाई बर्तनों को तौलिये से साफ़ किया। ये सारी क्रियाएँ उसे अत्यंत ही गरिमापूर्ण ढंग से पूरी कीं।
3. उत्तर- ‘टी-सेरेमनी’ में केवल तीन ही आदमियों को प्रवेश दिया जाता था क्योंकि वहाँ अत्यंत ही शांत वातावरण में चाय पी जाती है। अधिक आदमियों के होने से शांति भंग होने का खतरा बना रहता है।
4. उत्तर- चाय पीने के बाद लेखक के दिमाग की रफ़्तार धीरे-धीरे धीमी पड़ गई। थोड़ी देर में बिलकुल बंद भी हो गई। उन्हें लगा कि मानो वे अनंतकाल में जी रहे हों। उन्हें पूर्ण शांति का आभास होने लगा । उनके दिमाग से भूतकाल और भविष्य काल दोनों उड़ गए थे। वे केवल वर्तमान में थे।
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