Bhasha Karya

भाषा अध्ययन


ज्यों
जैसे 
कछु
कुछ 
नहिं
नहीं 
कोय
कोई 
धनि
धन्य 
आखर
अक्षर 
जिय
जीव 
थोरे
थोड़े 
होय
होता 
माखन
मक्खन 
तलवारि
तलवार 
सींचिबो
सींचना 
मूलहिं
मूल 
पिअत
पीते ही 
पिआसो
प्यासा 
बिगरी
बिगड़ी 
आवे
आए 
सहाय
सहायक 
ऊबरै
उबरे 
बिनु
बिन 
बिथा
व्यथा 
अठिलैहैं
इठलाएँगे 
परिजाय 
पड़ जाए 

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