Prashn 4

लिखित
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
1  - जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।
2 -  इनके लिए बेटाबेटीखसमलुगाईधर्मईमान सब रोटी का टुकड़ा है।
3 -  शोक करनेगम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और -  -  -  दुःखी होने का भी एक  अधिकार होता है।

1.  प्रस्तुत गद्यांश  में लेखक पोशाक के विषय में वर्णन करते हुए कह रहे हैं कि जिस प्रकार आकाश में उड़ रहे पतंग को डोर नियंत्रित करती है और जब पतंग कट जाती है तो भी हवा उसे एकाएक ज़मीन पर नहीं गिर जाने देती ठीक ऐसी ही स्थिति पोशाक के कारण होती है। यहाँ लेखक बुढ़िया के दयनीय अवस्था से काफी व्याकुल था और उसके दुख के बारे में जानना चाहता था। वह नीचे झुककर उस गरीब बुढ़िया का दुख बाँटना चाहता था परंतु उनकी पोशाक इसमें बाधा बन रही थी।
2.  प्रस्तुत गद्यांश का आशय यह है कि समाज में अनेक प्रकार के लोग रहते हैं जिनकी मानसिकता काफी विकृत हो चुकी है। उनके लिए सच उतना ही होता है जितना कि वे देख पा रहे हैं। जबकि सच्चाई तो यह होती है कि वे वास्तविक स्थिति से परिचित ही नहीं होते हैं। बिना पूर्ण सत्य का संधान किए मौजूदा हालात पर टीका-टिप्पणी करने लगते हैं जैसा कि यहाँ पर बाज़ार में मौजूद लोग और दुकानदार बुढ़िया पर कर रहे हैं।
3.  इस गद्यांश का आशय यह है कि समाज में दुख मनाने का अधिकार केवल आर्थिक रूप से संपन्न परिवारों को ही है। यह तो सत्य ही है कि दुख सभी को तोड़ता है। दुख में मातम सभी मनाना चाहते हैं पर ऐसा हो नहीं पाता है। पारिवारिक और आर्थिक संकट गरीबों को दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए मजबूर कर देता है तो दूसरी तरफ आर्थिक रूप से संपन्न परिवार के लोग महीनों तक दुख मानते हैं।



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