Prashn 3

3 -निम्नलिखित में अभिव्यक्त व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए - 
(क)    पढ़ते हैं आदमी ही कुरआन और नमाज़ यां
       और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ
       जो उनको ताड़ता है सो है वो भी आदमी
(ख)   पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी
       चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी
       और सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमी


क.                       कवि कहते हैं कि जहाँ पर धर्म की बातें सिखाईं जाती हैं वहीं से जूते-चप्पल चुरा लिए जाते हैं  और चुराने वाला चोर भी आदमी ही होता है और उनको देखने वाला भी आदमी ही होता है। अर्थात समाज में समुचित शिक्षा के विविध आयामों में खामियाँ हैं जिसकी वजह से ये सब क्रियाएँ हो रही हैं।   
      
ख.                      कवि कहते हैं कि लोग अपनी अज्ञानता के कारण दूसरों को बेइज़्ज़त करते हैं। यही लोग अपनी समस्या में सहायता के उद्देश्य से चिल्ला कर लोगों को पुकारते हैं और उनकी पुकार को सुनकर मदद की मंशा से जो दौड़ता है वह भी आदमी ही है।इससे यह तो स्पष्ट होता है कि समाज में अनेक तरह के लोग मौजूद हैं पर हमे यह चाहिए कि हम अपनी सोच और सामाजिक स्तर इस तरह का बनाए कि कोई हमारी  बेइज़्ज़ती न कर सके। हमें अपने आप को इस काबिल बनाना चाहिए कि हम दूसरों की भी मदद कर सकें।

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