Prashn 2
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
1 - चलते—पुरज़े लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं?
2 - चालाक लोग साधारण आदमी की किस अवस्था का लाभ उठाते हैं?
3 - आनेवाला समय किस प्रकार के धर्म को नहीं टिकने देगा?
4 - कौन—सा कार्य देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाएगा?
5 - पाश्चात्य देशों में धनी और निर्धन लोगों में क्या अंतर है?
6 - कौन—से लोग धार्मिक लोगों से अधिक अच्छे हैं?
1. चलते—पुरज़े लोग मूर्ख लोगों की शक्तियों और उत्साह का दुरुपयोग करते हैं। वे चाहते हैं कि इन जाहिलों के बल के आधार पर उनका नेतृत्व और बड़प्पन कायम रहे। वे अपनी वाक्पटुता के बल पर अपनी धर्म की दुकान चलाते हैं।
2. चालाक लोग साधारण आदमी के धर्म के प्रति निष्ठा, उनकी अज्ञानता, गरीबी का लाभ उठाते हैं। धर्म के दुकानदार अपनी धूर्तता से साधारण आदमी को सदा गुमराह कर उनका लाभ उठाते रहते हैं।
3. वे लोग जो दूसरों को तीसरे से लड़ाकर धर्मात्मा बनते हैं तथा जो धार्मिक होने का ढिंढोरा पिटते हैं और चोरी-छुपे असामाजिक कार्यों को अंजाम देते हैं, इस प्रकार के धर्म को आनेवाला समय नहीं टिकने देगा।
4. आपका मन जिस धर्म को मानना चाहे, उस धर्म को आप मानें, और दूसरों का मन चाहे, उस प्रकार का धर्म वह माने। दो भिन्न धर्मों के मानने वालों के टकरा जाने के लिए कोई भी स्थान न हो। यदि किसी धर्म के मानने वाले कहीं ज़बरदस्ती टाँग अड़ाते हों, तो उनका इस प्रकार का कार्य देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाएगा।
5. पाश्चात्य देशों में, धनी लोगों की अट्टालिकाएँ आकाश से बातें करती हैं जबकि गरीबों की झोंपड़ी उनकी दरिद्रता बखान करती है। यहाँ धनी शोषक वर्ग कहलाता है और गरीब शोषित वर्ग।
6. वे ला—मज़हब और नास्तिक आदमी धार्मिक और दीनदार आदमियों से कहीं अधिक अच्छे और ऊँचे हैं, जिनका आचरण अच्छा है, जो दूसरों के सुख—दुःख का खयाल रखते हैं और जो मूर्खों को किसी स्वार्थ—सिद्धि के लिए उकसाना बहुत बुरा समझते हैं।
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