Bhasha Karya
भाषा अध्ययन
ईमान
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धर्म, विश्वास
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बदन
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शरीर, काया
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अंदाज़ा
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अनुमान, आकलन
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बेचैनी
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व्याकुलता, अकुलाहट
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गम
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दुःख, पीड़ा
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दर्ज़ा
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श्रेणी, पदवी
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ज़मीन
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पृथ्वी, धरा
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ज़माना
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युग, काल
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बरकत
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लाभ, इज़ाफा
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3.
खसम - लुगाई, पोता-पोती, झाड़ना-फूँकना,
छन्नी - ककना, दुअन्नी-चवन्नी।
4.
• बंद दरवाज़े खोल देना - प्रगति में बाधक
तत्व हटने से बंद दरवाज़े खुल जाते हैं।
• निर्वाह करना - परिवार का भरण-पोषण करना।
• भूख से बिलबिलाना - बहुत तेज भूख लगना।
• कोई चारा न होना - कोई और उपाय न होना।
• शोक से द्रवित हो जाना - दूसरों का दु:ख देखकर भावुक हो जाना।
5.
क)
1. छन्नी-ककना - गरीब
माँ ने अपना छन्नी-ककना बेचकर बच्चों को पढ़ाया-लिखाया।
2. अढ़ाई-मास - वह
विदेश में अढ़ाई - मास के लिए गया है ।
3. पास-पड़ोस - पास-पड़ोस के साथ मिल-जुलकर रहना चाहिए, वे ही सुख-दुःख के सच्चे साथी होते है।
4. दुअन्नी-चवन्नी - आजकल दुअन्नी-चवन्नी का कोई मोल नहीं है।
5. मुँह-अँधेरे
- वह मुँह-अँधेरे उठ कर काम ढूँढने चला जाता है
।
6. झाड़-फूँकना
- आज के जमाने में भी कई लोग झाँड़ने-फूँकने पर
विश्वास करते हैं।
ख)
1. फफक-फफककर - भूख के मारे गरीब बच्चे फफक-फफककर रो रहे थे।
2. तड़प-तड़पकर
- अंधविश्वास और इलाज न करने के कारण साँप के काटे जाने पर गाँव के लोग
तड़प-तड़पकर मर जाते है ।
3. बिलख-बिलखकर
- बेटे की मृत्यु पर वह बिलख-बिलखकर रो रही थी।
4. लिपट-लिपटकर
- बहुत दिनों बाद मिलने पर दोनों सहेलियाँ लिपट-लिपटकर मिली।
6.
निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं को ध्यान से पढ़िए और इस प्रकार के
कुछ और वाक्य बनाइए :
(क)
• लड़के सुबह उठते ही भूख से बिलबिलाने
लगे।
• उसके लिए तो बजाज की दुकान से कपड़ा लाना
ही होगा।
• चाहे उसके लिए माँ के हाथों के छन्नी-ककना ही क्यों न बिक जाएँ।
(ख)
• अरे जैसी नीयत होती है, अल्लाह भी वैसी ही बरकत देता है।
• भगवाना जो एक दफे चुप हुआ तो
फिर न बोला।
(क)
• छोटा बच्चा नींद से उठते ही भूख से बिलबिलाने
लगा।
• आज उसके जन्मदिन का उपहार लाना ही होगा।
• माँ
मोहन को पढ़ाना चाहती थीं, चाहे उसके लिए उसके हाथों के छन्नी-ककना ही क्यों न बिक जाएँ।
(ख)
• अरे जो जैसा करता है, वैसा ही भरता है।
• बीमार रामू जो एक दफे चुप हुआ तो
फिर न बोला।
मुहावरे
1. चल बसना – मृत्यु होना
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